सुलूस
Tuesday, 17 April 2012
नखेत्र!
मळबातली नखेत्रां,
थाव घेतात
मनशाच्या सपनांचो...
एक एक नखेत्र तुटून,
उतर दिता
ताका पुराय करपाचें...
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment